अब सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस टाइप-C केबल से चार्ज होंगे तो भारत पर क्या असर होगा

अब सभी इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस टाइप-C केबल से चार्ज होंगे तो भारत पर क्या असर होगा

यूरोपियन यूनियन (EU) पार्लियामेंट ने मंगलवार को यूनिवर्सल चार्जर नियम लागू कर दिया। मोबाइल फोन, टैबलेट और कैमरे के लिए सिंगल चार्जिंग पोर्ट जरूरी होगा। 2024 तक सभी इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों को अपने डिवाइस में टाइप-C चार्जिंग पोर्टल ऐड करना होगा।

एक रिपोर्ट के अनुसार यूरोपीय लोग सिर्फ चार्जर खरीदने पर हर साल अरबों यूरो खर्च कर रहे थे। पार्लियामेंट में ज्यादातर सांसदों ने इस फैसले का समर्थन किया है। समर्थन में 602 वोट के मुकाबले, विरोध में सिर्फ 13 वोट पड़े।


यूरोपियन यूनियन ने कहा- इस फैसले से कंज्यूमर चार्जर खरीद पर हर साल 250 मिलियन यूरो (267 मिलियन डॉलर), यानी 2,075 करोड़ रुपए तक की बचत कर पाएंगे। एक जैसे चार्जर मिलेंगे तो करीब 11 हजार टन इलेक्ट्रॉनिक कचरा भी कम हो सकता है। एपल ने इस पर कहा था कि EU के यूनिवर्सल चार्जर के फैसले से न सिर्फ यूरोप के लोगों को, बल्कि पूरी दुनिया के ग्राहकों को दिक्कत होगी।


ई-रीडर्स, ईयरबड्स और दूसरे टेक्नोलॉजिकल डिवाइस पर भी नए नियमों का असर होगा। एक्सपर्ट्स का मानना है कि EU के फैसले से एपल को सबसे ज्यादा नुकसान होगा, क्योंकि उनके किसी भी डिवाइस में टाइप-C केबल काम नहीं करती।

एक्सपर्ट्स ने कहा कि एपल लाइटनिंग केबल से चार्ज होने वाले पुराने डिवाइस में टाइप-C कनेक्टर ऐड करने के बजाय टाइप-C कनेक्शन वाले नए डिवाइस लॉन्च कर सकता है।


यूरोपियन यूनियन में कुल 27 देश हैं। यूरोपियन यूनियन का यूनिवर्सल चार्जर का नियम भारत पर लागू नहीं होगा। हालांकि, जब एपल जैसी कंपनी यूरोपियन यूनियन के देशों के लिए कोई एक चार्जर बनाएगी, तो वही चार्जर वह बाकी दुनिया के देशों के लिए भी बनाना चाहेगी, ताकि उसका खर्च कम हो सके।