सबका साथ सबका विकास के साथ -साथ सबका विश्वास एक दुसरे के प्रति शुद्धिढ़ सदभाव के तहत सभी बढ़े सभी पढ़ें - शिव कुमार खरवार "राही"

सबका साथ सबका विकास के साथ -साथ सबका विश्वास एक दुसरे के प्रति शुद्धिढ़ सदभाव के तहत सभी बढ़े सभी पढ़ें - शिव कुमार खरवार "राही"

परम् ब्रह्म महर्षि बाल्मीकि जी की जयंती पर मानवीय मूल्यों पर यह रचना का मुख्य उद्देश्य जाती वर्ग के आधार पर प्रतिभाओं का दमन    पर किसी ने चिंता किया वें अपने देश के माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी स्वच्छता अभियान के तहत आत्मनिर्भर भारत की कल्पना को मजबूत करने दृष्टिकोण से देश के सभी हाथों में स्वत: सफाई अभियान को बल प्रदान किया ।
इस तरह की सरकारी पहल को हम सब मिलकर अंजाम दें‌ ताकि सबका साथ सबका विकास के साथ -साथ सबका विश्वास एक दुसरे के प्रति शुद्धिढ़ सदभाव के तहत सभी बढ़े सभी पढ़ें .
सम्पादकीय मंडल इस तरह की लेखों को राष्ट्रहित में बल प्रदान करता है।

हम बनके स्वच्छकार
पहुंचे मृत्यु के द्वार 
हाय रे इन्सान
हाय रे इन्सान
हम बनके ्््

करते हैं सफाई
दुर्गन्ध घर आई
वाह रे गरीबी 
वाह रे बेमारी
सबके सब हैं स्विकार 
हाय रे इन्सान हाय ्््

प्रकृति ने इनको 
मानव है बनाया
मानव  इन्हें बांट 
कैसे भुलाया
सबके सब हैं बेजूबान 
हाय रे इन्सान हाय ्््

सदियों से कह रहे हैं।
अधिकार मिलेगा
रोटी कपड़ा और
मकान मिलेगा
बच्चे होंगे कब महान 
हाय रे इन्सान हाय ्््

मल भी फेंकते हैं।
और मूत्र फेंकते हैं।
मृत्य जीव और
जन्तु फेंकते हैं।
सबके सब अन्जान 
हाय रे इन्सान हाय ्््

ये हैं इस धरती पर मानव 
आज इन्हें मालूम पड़ा है।
भारत का प्रत्येक नागरिक
स्वच्छ कार संघ खड़ा है।
राही बनकर महान 
करें मोदी गुणगान 
हाय रे इन्सान हाय ्््
हम बनके स्वच्छकार
पहुंचे मृत्यु के द्वार
हाय रे इन्सान हाय ्््

शिव कुमार खरवार राही
9415131662